Punjab: किसान संगठनों ने दिया चार दिन का अल्टीमेटम, सीएम मान ने कहा- प्लान बी तैयार है, ब्लैकमेलिंग नहीं होगी
Punjab के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शनिवार को किसानों, श्रमिकों और कमीशन एजेंटों के 25 समूहों के साथ धान की खरीद और उठान के संबंध में एक बैठक की। इस बैठक में सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया कि मंडियों में खरीदी गई धान की उठान दो दिनों के भीतर शुरू हो जाएगी। इस पर किसानों ने सीएम को चार दिनों का समय देकर अपना प्रदर्शन समाप्त कर दिया, लेकिन चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें चार दिनों के भीतर पूरी नहीं हुईं, तो वे पांचवे दिन एक बड़ा संघर्ष शुरू करेंगे।
किसानों की मांगों पर सीएम का आश्वासन
बैठक में मुख्यमंत्री मान ने कहा कि कमीशन एजेंट, किसान और मिल मालिक अनाज उत्पादन में एक कड़ी हैं और इस कड़ी को तोड़ना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि वे सभी हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और किसी भी प्रकार की ब्लैकमेलिंग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। अगर आवश्यकता पड़ी, तो राज्य सरकार बाहर से भी मिलिंग कराने में संकोच नहीं करेगी।
सीएम ने कहा कि राज्य के विपक्षी दल किसानों को परेशान करने के लिए राजनीति कर रहे हैं, लेकिन सरकार हर एक धान की खरीद के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्वयं धान की खरीद और उठान की निगरानी करने का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मंडियों में धान को खराब नहीं होने दिया जाएगा और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
धान की खरीद में हो रही समस्या
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस वर्ष मंडियों में 185 लाख मीट्रिक टन धान आने की उम्मीद है, जिसके लिए राज्य भर में 2651 मंडियों की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि लगभग 18.31 लाख मीट्रिक टन धान मंडियों में आ चुका है, जिसमें से 16.37 लाख मीट्रिक टन की खरीद की जा चुकी है।
मान ने बताया कि पिछले वर्ष धान की परिवहन में देरी के कारण वर्तमान में भंडारण की समस्या उत्पन्न हो रही है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे को केंद्रीय मंत्री के सामने उठाया है, जिसके बाद आश्वासन मिला है कि मार्च 2025 तक 120 लाख मीट्रिक टन धान राज्य से बाहर जाएगा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि कोई भी किसान मंडियों में दीपावली नहीं मनाएगा।
किसानों की श्रमिक लागत में वृद्धि
मुख्यमंत्री ने बताया कि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने बार-बार जोर दिया है कि PR 126 धान की किस्म (Pusa 44) की तुलना में लगभग 20-25 प्रतिशत पानी बचाती है, जो पकने में अधिक समय लेती है। इसलिए वे फसल की हर किस्म की खरीद के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही राज्य में श्रमिक शुल्क बढ़ा दिए हैं और यदि आवश्यक हुआ, तो राज्य सरकार इस शुल्क को और बढ़ाने की संभावना पर विचार करेगी। सीएम ने किसानों को आश्वासन दिया कि वे केंद्रीय सरकार के साथ DAP खाद की निर्बाध आपूर्ति के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठा रहे हैं।
प्रदर्शन का अंत
किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सरकार ने धान की खरीद और उठान सुनिश्चित करने के लिए दो दिन मांगे थे, लेकिन उन्होंने चार दिन का समय दिया है। यदि उनकी मांगें चार दिनों के बाद पूरी नहीं हुईं, तो वे एक बड़ा संघर्ष शुरू करेंगे। उन्होंने बताया कि शेष मुद्दों पर किसानों के साथ एक अलग बैठक करेंगे।
पंजाब में किसानों की स्थिति
पंजाब में किसानों की स्थिति पिछले कुछ वर्षों में गंभीर हो गई है। धान की फसल की खरीद में हुई समस्याएं और खराब मौसम ने किसानों को आर्थिक रूप से प्रभावित किया है। इस बैठक के बाद किसानों को उम्मीद है कि उनकी समस्याओं का समाधान होगा और वे आगामी फसल सीजन में बेहतर स्थिति में होंगे।
भविष्य की दिशा
मुख्यमंत्री मान का यह बयान न केवल किसानों के लिए राहत का संदेश है, बल्कि यह पंजाब के कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। सरकार की योजना है कि वह किसानों की हर जरूरत को पूरा करने के लिए लगातार काम करेगी।
यह देखना होगा कि चार दिनों में किसानों की मांगों का कितना समाधान होता है और क्या मुख्यमंत्री के आश्वासन को सरकार पूरी तरह से लागू कर पाती है या नहीं। अगर मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो किसान संगठनों का बड़ा संघर्ष निश्चित रूप से पंजाब के कृषि परिदृश्य को प्रभावित करेगा।
पंजाब के किसानों की इस स्थिति में, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का यह कदम एक सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम है, लेकिन क्या यह पर्याप्त होगा? आने वाले दिनों में हम देखेंगे कि पंजाब की राजनीति और किसानों के मुद्दों पर क्या नया मोड़ आता है।